मुंबई (कमोडिटीज कंट्रोल) भारत का कृषि क्षेत्र देश के लिए एक बड़ा आर्थिक संकट पैदा कर सकता है क्योंकि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बाजार और अंतर्राष्ट्रीय कीमतों से अधिक है। इस क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या यह है कि कृषि वस्तुओं के अंतर्राष्ट्रीय मूल्य, बाजार मूल्य और एमएसपी में बहुत जयादा अंतर है, एक वेबिनार में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कृषि क्षेत्र में बाधाओं को उजागर करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक समस्याएं भी हैं, जिससे सरकार के लिए फैसले लेना मुश्किल हो जाता है।
फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में बात करते हुए मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में इससे बड़ा आर्थिक संकट पैदा हो सकता है, जिसका वैकल्पिक समाधान खोजने पर जोर दिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि उच्च एमएसपी के बारे में सरकार भी चिंतित है। क्योंकि इससे कृषि क्षेत्र में क्रय शक्ति में कटौती होने का खतरा रहेगा जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
कृषि क्षेत्र की अन्य प्रमुख समस्याओं को संबोधित करते हुए, MSME और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि कृषि क्षेत्र आत्मनिर्भर है हमारे यहां तीन साल के लिए अतिरिक्त चावल और गेहूं मौजूद है और फिलहाल इनके भंडारण के लिए जगह नहीं है। जरुरत अब अतिरिक्त चावल के प्रभावी इस्तमाल करने की है। इस दिशा में सरकार को चावल से एथेनॉल बनाने की एक नीति का सुझाव दिया है।
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में, कैबिनेट ने 14 खरीफ फसलों की एमएसपी में 50-83% बढ़ोतरी को मंजूरी दी थी। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कपास के लिए एमएसपी 260 रुपये बढ़ाकर 5,515 रुपये प्रति क्विंटल और धान 53 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 1,868 रुपये प्रति क्विंटल किया गया। एमएसपी में 50% बढ़ोतरी रागी, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन और तिल के चालू वित्त वर्ष के लिए भी घोषित की गई।