मुंबई (कमोडिटीज कंट्रोल) कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए पिछले 45 दिनों से जारी लॉकडाउन में ठप पड़े कामकाज के बीच देश का कपड़ा उद्योग दिवालिया होने के कगार पर आ गया है। ऐसे में क्लॉथिंग मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CMAI) ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है।
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार को लिखे अपने पत्र में एसोसिएशन ने सेक्टर के मजदूरों की पगार के भुगतान में सरकार से मदद मांगी है। केंद्र सरकार को देश के क्लॉथिंग क्षेत्र के बारे में जानकारी देते हुए पत्र में कहा गया है कि इस सेक्टर में 90% इकाइयां MSMEs हैं। जिसमें से करीब आधी माइक्रो सेगमेंट से ताल्लुक रखती हैं।
देश का क्लॉथिंग उद्योग करीब 1.2 करोड़ लोगों को सीधे रोजगार देता है। जिसमें से 40% महिलाएं हैं।
एसोसिएशन ने कहा है कि कोरोना और लॉकडाउन की वजह से ये इंडस्ट्री ऐसे क्राइसिस में चली गई है, जहां से खुद उबर पाना मुश्किल है। कई छोटी इकाइयों पर तो अस्तित्व का खतरा मंडराने लगा है। CMAI ने कहा है कि एसोसिएशन के हाल के एक सर्वे के मुताबिक उसके करीब 20% सदस्यों ने सरकारी मदद के अभाव में अपना धंधा ही बंद करने की बात कही है।
CMAI के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान सदस्यों की इनकम पूरी तरह से रुक गई है। साथ ही अगले 2-3 महीने हालात यूं रहने की आशंका है। इसके बावजूद सरकार की ओर से कर्मचारियों को पगार और मजदूरी देने का सुझाव दिया जा रहा है। बेशक इसका ख्याल सेक्टर के लोगों को भी है, लिहाजा किसी तरह से मार्च की पगार तो दे दी गई लेकिन आगे के लिए समस्या आ गई है। ऐसे के एसोसिएशन से जुड़े छोटे सदस्यों को सरकारी मदद बेहद जरूरी हो गई है।
अपने पत्र में CMAI ने केंद्र और राज्य सरकारों को सेक्टर को बचाने के लिए मजदूरों के भुगतान का इनोवेटिव प्लान लाने का सुझाव दिया है।
आपको बता दें लॉकडाउन की वजह से कपड़े के बाजार समेत शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और मॉल तक बन्द हैं। ऐसे में इन इकाइयों के पास डिमांड की भी भारी किल्लत है। वहीं कई इकाइयों के पुराना पेमेंट भी अटका हुआ है। ऐसे में इनकी वित्तीय सेहत बिल्कुल बिगड़ गई है।