मुंबई (कमोडिटीज कंट्रोल) - मानसून की राह देखते हुए किसान हल्दी की बुवाई करने में लगे हुए है परन्तु मानसून में लगातार देरी देखी जा रही है जिसकी वजह से किसान अपना उत्पाद बाजार में लाने के लिए मजबूर होते देखी जा रहे है, जैसे जैसे मानसून में देरी होगी हल्दी के भाव् ऊँचे होते देखे जा सकते है जिससे किसान लाभ प्राप्ति के लिए अपना माल बाजार मे ला सके।
आज भारत के प्रमुख बाजारों में हल्दी में स्थिरता के साथ मजबूत व्यापार होता देखा गया परन्तु खरीददारी सामान्य से कमजोर देखी जा रही है, व्यापरी स्टॉकिस्ट तथा किसान इस वक़्त असमंजस्य की स्थिति में देखे जा रहे है।
हालांकि विश्वस्त सूत्रों से पता चलता है की महाराष्ट्र में 65 से 70% हल्दी के नये फसल की आवक हो चुकी है यदि इस बात को ध्यान में रखा जाये तो हल्दी का उत्पादन अनुमान से कम देखा जा रहा है क्योंकि बसमत नगर, हिंगोली तथा नांदेड के इलाकों में अभी तक लगभग 7 से 8 लाख बैग हल्दी की आवक देखी गई है।
इस वर्ष कमजोर उत्पादन की वजह से कुछ दिन पहले हल्दी में अच्छी तेजी देखने को मिली थी परन्तु सटोरियों की बिकवाली की वजह से हल्दी के भाव पुनः निचे आते देखे गए परन्तु कम कीमत स्तर पर किसानों हल्दी को बेचना नहीं चाहते इसलिए बाजार में आवक कम होती देखी जा रही है, ताजा रुझान के अनुसार अब स्टॉकिस्ट बाजार में देखे जा सकते है, प्रतिवर्ष जून के पहले या दुसरे सप्ताह से स्टॉकिस्ट सक्रिय देखे जाते है वैसा ही इस वर्ष भी देखने को मिल सकता है जिसे बाजार में फिर से रौनक देखने को मिल सकती है।
इस वर्ष भारत में लगभग 60 से 62 लाख हल्दी की पैदावार होने का अनुमान लगाया जा रहा है जो की पिछले वर्ष से लगभग 10% कम है तथा पुराना स्टॉक लगभग 40% कम देखी गया है, परन्तु खपत की औसत दर जनसँख्या वृद्धि के चलते वर्ष दर वर्ष बढती जा रही है जिसकी वजह से बाजार में हल्दी की कमी देखी जा सकती है, घरेलु तथा एक्सपोर्ट को मिलाकर औसत खपत लगभग 82 से 84 लाख बैग की होती है यदि हम मौजुदा आंकड़ो पर ध्यान दे तो 62 लाख के उत्पादन तथा 20 से 22 लाख के पुराने स्टॉक को मिला दिया जाये तो लगभग 82 से 84 लाख की सप्लाई रहने का अनुमान है।
हालाकि विश्वस्त सूत्रों के अनुसार वर्तमान स्थिति में बाजार में पुराने स्टॉक का आंकलन करना बेहद कठिन होता जा रहा है क्योंकि नोटबंदी के वक़्त बहोत से दिग्गज व्यापारी तथा जिनके पास नकदी थी वे हल्दी का प्रचुर मात्रा में स्टॉक कर चुके है परन्तु उक्त हल्दी के काले स्टॉक का बाजार में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, परन्तु सूत्रों के अनुसार हल्दी का औसत काला स्टॉक ( इरोड 2 से 3 लाख बैग. निज़ाम 2 लाख बैग, महाराष्ट्र 2 से 3 लाख बैग तथा वारंगल दुग्गीराला तथा कडप्पा में लगभग 1 लाख बैग) लगभग 8 से 9 लाख बैग का होगा, बाजार में आने वाली अगली तेजी में उक्त स्टॉक बाजार में आ सकता है जिसकी वजह से बाजार उठापटक फिर से देखी जा सकती है।
व्यापारियों के अनुसार इस वर्ष हल्दी में ज्यादा जोखिम नजर नहीं आ रहा है, यदि मानसून में थोड़ी भी देरी होती है तो हल्दी की कीमतों में कुछ हद तक बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है।
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