मुंबई (कमोडिटीज कंट्रोल) - जीरे में उच्च उत्पादन की रिपोर्ट के बाद सिमित दायरे में व्यापार हो रहा है, आवक में बढ़ोत्तरी के साथ निर्यात में पूछताछ सामान्य देखी जा रही है।
गुजरात तथा राजस्थान में अच्छी बुवाई के कारण बम्फर फसल की उम्मीद लगाईं जा रही है , परन्तु अब राजस्थान में उपज को लेकर चिंता देखी जा रही है जो की राजस्थान के उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन मसाले स्टेकहोल्डर्स (एफआईएसएस) - ने भारत में 2017-18 के लिए जीरा उत्पादन में 6.92 मिलियन बैग का अनुमान लगाया है, जबकि पिछले साल भारत ने 5.83 मिलियन बैग जीरा का उत्पादन हुआ था।
पिछले माह में कमजोर आवक की वजह से जीरे में करीब 9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी परन्तु कमजोर लेवाली के कारण बाजार में फिर से सिमित तथा संकीर्ण व्यापार देखा जा रहा है।
चीन और बांग्लादेश की बढ़ती मांग के कारण भारत ने अप्रैल-अक्टूबर 2017 के दौरान 104,260 टन जीरा निर्यात किया था, जो एक साल पहले 91,024 टन था। हालांकि चीन तथा बांग्लादेश से अब भी धीरे धीरे मांग आती देखी जा रही है।
सीमित आपूर्ति के बीच हाजिर बाजार में हल्की मांग से जीरे की कीमतों को समर्थन मिल सकता है। भारतीय जीरा के लिए निर्यात मांग मौजूदा स्तर मजबूत होने की उम्मीद है।
भौगोलिक तथा राजनीतिक तनाव के कारण अन्य उत्पादक देशों से जीरे की आपूर्ति कम हो सकती है, सीरिया में बारिश जारी है जिससे निर्यात पर असर पड़ता है जो की भारतीय जीरा के लिए सकारात्मक है।
हालाँकि व्यापारी मानसून का इन्तजार कर रहे है, आई एम् डी ने भविष्यवाणी करते हुए कहा की केरल में मानसून 29 मई को आ सकता है, अधिकांश मसालों की बुवाई मानसून की बारिश के बाद होती है, मसालों की खेती बारिश पर निर्भर करेगी।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए पहले अग्रिम अनुमानों में दिखाया गया की 2017-18 के दौरान भारत के मसालों का उत्पादन 8.16 मिलियन टन पर स्थिर पर रहा।
अप्रैल-दिसंबर 2017 के दौरान भारतीय मसालों और मसालों के उत्पादों का निर्यात 797,145 टन (131.68 अरब रुपये) हो गया, जो वॉल्यूम में 20% और रुपये में 4% की वृद्धि दर्ज करता है। डॉलर में मसालों का निर्यात 9% बढ़कर 2,041 मिलियन डॉलर हो गया, जो एक साल पहले 1,880 मिलियन डॉलर था।
टेक्नीकल चार्ट के अनुसार जीरे में डाउन ट्रेंड देखा जा रहा है जिससे जीरे में जून वायदा निचे 15560 तथा 15430 के स्तर को छू सकता है परन्तु निचले स्तर पर खरीददारी से बाजार को समर्थन मिल सकता है जिससे जीरे का जून वायदा 15900 तथा 16100 का स्तर दिखा सकता है।
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