मुंबई (कमोडिटीज कंट्रोल) - कम स्टॉक तथा उत्पादन केंद्रों से कम आपूर्ति के और बाजार एक महीने के लिए बंद होने की वजह से लाल मिर्ची में तेजी जारी रहने की संभावना है।
गुंटूर देश का सबसे बड़ा लाल मिर्च का बाजार है और गर्मी के कारण प्रति वर्ष मई-जून के दौरान एक महीने के लिए बंद रहता है।
इस साल मिर्च के उत्पादन में कमी आई है क्योंकि किसानों ने निचले इलाके में फसल लगाई थी, पिछले साल बम्पर उत्पादन के कारण कीमतों में गिरावट के चलते उन्हें भारी नुकसान हुआ था।
लाल मिर्च मसालों के निर्यात में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों के दौरान 353,400 टन का निर्यात हुआ था जबकि एक साल पहले 260,250 टन का निर्यात देखा गया था।
हालांकि निर्यात से कमाई घटकर 32.41 अरब हुई जो की पिछले वर्ष इसी अवधी में 34.60 अरब रुपये थी।
बाजारों में किसान द्वारा मिर्ची की आवल में लगातार कमी देखी जा रही है जिसकी वजह से कोल्ड स्टोरेज का माल बाजार में में उपलब्ध हो रहा है तथा अच्छी गुणवता की मिर्ची होने की वजह से माल हाथो हाथ बिक रहा है।
वैश्विक स्तर पर लाल मिर्ची की खपत साल दर साल बढती जा रही है तथा भारत में इस वर्ष उत्पादन में कमी की वजह से मिर्ची की कीमतें मजबूत होती देखी जा रही है।
आने वाले समय में बाजार में तेजी बनी रह सकती है क्योंकि वैश्विक स्तर पर भारत से लाल मिर्ची की मांग लगातार जारी है।
इस समय उत्पादन क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता की लाल मिर्ची की उपलब्धता में कमी की वजह से बाजार में अच्छी गुणवत्ता की मिर्ची की जबरदस्त मांग बनी हुई है, आने वाले समय में अच्छी गुणवत्ता की मिर्ची की कमी से मीडियम तथा औसत गुणवत्ता की मिर्ची में मांग बढ़ सकती है।
बाजार में सबसे ज्यादा बिकने वाली तेजा क्वालिटी का स्टॉक इस साल सबसे कम देखा जा रहा है जिससे आने वाले समय में बाजार गर्म रह सकता है।
दुबई, बांग्लादेश, तथा अन्य देशों से लाल मिर्ची (मुख्यतः तेजा, 334 तथा 273) की मांग अच्छी देखी जा रही है, पिछले माह तक रमजान की वजह से लाल मिर्ची में अच्छी मांग देखी गई थी।
हालाँकि व्यापारी मानसून का इन्तजार कर रहे है, आई एम् डी ने भविष्यवाणी करते हुए कहा की केरल में मानसून 29 मई को आ सकता है, अधिकांश मसालों की बुवाई मानसून की बारिश के बाद होती है, मसालों की खेती बारिश पर निर्भर करेगी।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए पहले अग्रिम अनुमानों में दिखाया गया की 2017-18 के दौरान भारत के मसालों का उत्पादन 8.16 मिलियन टन पर स्थिर पर रहा।
अप्रैल-दिसंबर 2017 के दौरान भारतीय मसालों और मसालों के उत्पादों का निर्यात 797,145 टन (131.68 अरब रुपये) हो गया, जो वॉल्यूम में 20% और रुपये में 4% की वृद्धि दर्ज करता है। डॉलर में मसालों का निर्यात 9% बढ़कर 2,041 मिलियन डॉलर हो गया, जो एक साल पहले 1,880 मिलियन डॉलर था।
(कमोडिटीज कंट्रोल ब्यूरो द्वारा; + 91-22- 40015567)