मुंबई (कमोडिटीज कंट्रोल) जब पूरा देश लॉकडाउन में था। बाजार बंद थे। कारोबार बंद था। किसान अपनी उपज को बेचने के लिए परेशान थे, उस वक़्त केंद्र सरकार की कंपनी कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने किसानों का साथ दिया। कपड़ा मंत्रालय के तहत काम करने वाली यह कंपनी लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अपने 34 केंद्रों के जरिये कपास खरीद रही है।
महाराष्ट्र में कपास खरीद में दिक्कत की खबरों पर सफाई देते हुए कपड़ा मंत्रालय ने कहा है कि CCI ने राज्य में अपनी एजेंट महाराष्ट्र स्टेट कॉटन ग्रोवर्स मार्केटिंग फेडरेशन के साथ मिलकर लॉकडाउन के दौरान अबतक 6,900 गांठ (1 गांठ में 170 किलो) कपास खरीदा है। जबकि इस सीजन के दौरान अबतक ₹4995 करोड़ में 18.66 लाख गांठ कपास खरीदा है। जिसमें से किसानों को ₹4987 करोड़ का भुगतान भी कर दिया गया है।
गौरतलब है कि भारत समेत दुनियाभर में लॉकडाउन की वजह से कॉटन का कारोबार ठप हो गया है। एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है। देश भर में यार्न और टेक्सटाइल मिलों में भी कामधाम नहीं हो रहा है। मिलों में लेबर और फंड की किल्लत से आगे भी दिक्कत बनी रहने की आशंका है। जानकारों का मानना है कि ऐसे में CCI ने कपास के किसानों को बड़ी राहत दी है।
खानदेश जिनर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट प्रदीप जैन ने बताया कि, "फिलहाल मार्केट में महज CCI ही खरीदार है। आगे मांग नहीं होने से मिलें किसानों को बेहद कम कीमत ऑफर कर रही हैं। ऐसे में किसान मिलों को कपास बेचने से बच रहे हैं"। उनके मुताबिक कपड़ा मिलों की भी मांग नहीं है, भाव नीचे आने से पहले के काफी ऑर्डर्स कैंसिल भी हो गए हैं।
आपको बता दें ग्लोबल मार्केट में कॉटन का दाम 11 साल का निचला स्तर छू चुका है। जबकि घरेलू बाजार में ये 5 साल के निचले स्तर पर है। किसानों को मिलें ₹3000-4500/क्विंटल का भाव दे रहीं हैं। जबकि CCI किसानों से ₹5255-5550/क्विंटल के भाव पर कपास खरीद रही है। मिलों की दलील है कि वे ₹32,000/कंडी के भाव पर भी कॉटन नहीं बेच पा रही हैं, ऐसे में किसानों को ऊंची कीमत देना उनके वश की बात नहीं है।