मुंबई (कमोडिटीज कंट्रोल) लॉकडाउन की वजह से दुनिया की ज्यादातर बंद पड़ इकोनॉमी के बीच ग्बोबल टेक्सटाइल मार्केट अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। जिसका कॉटन के मार्केट पर बेहद बुरा असर पड़ा है। ऐसे में आगे कॉटन में और गिरावट की आशंका बढ़ गई है। इस बीच भारत जो कि लॉकडाउन के तीसरे चरण में प्रवेश कर चुका है, में पावरलूम, कपड़ा इकाइयां जैसे प्रमुख क्षेत्र अभी भी ठप हैं।
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए का मानना है कि भारतीय कपड़ा उद्योग का निर्यात परिदृश्य कमजोर बना हुआ है। इसके अतिरिक्त, COVID-19 का प्रसार उद्योग की कठिनाइयों को और बढ़ाएगा। महामारी ने वस्त्र उद्योग की मांग-आपूर्ति की स्थिति को बिगाड़ दिया है।
यह कपास की कीमतों में स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित होता है, क्योंकि सोमवार को लगभग दो सप्ताह में आईसीई कपास वायदा अपने सबसे निचले स्तर पर गिर गया।
जुलाई के लिए कपास अनुबंध 153 अंक घटकर 54.31 सेंट प्रति पौंड पर आ गया। यह 53.85 की सीमा के भीतर कारोबार किया, 22 अप्रैल के बाद से इसका न्यूनतम स्तर 55.8 सेंट पौंड है।
इस साल के शुरुआत में 75 सेंट से गिरकर कॉटन का भाव 50 सेंट तक आ चुका है, जो ग्लोबल डिमांड में कमी की वजह से हुआ है।
देश भर में लॉकडाउन के कारण खुदरा स्टोर और मॉल बंद होने से उद्योग की बिक्री प्रभावित हुई है। लॉकडाउन हटा दिए जाने के बाद भी, वस्त्रों की मांग को सुधरने में समय लगेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि मॉल्स और रिटेल स्टोर में फुटफॉल कम होगा क्योंकि लोग भीड़ भरे बाजारों में जाने से बचेंगे।
वहीं भारत के एक्सपोर्ट मार्केट भी ठंडे पड़े हुए हैं। यूके और यूएस सहित यूरोपीय बाजार (कुल टेक्सटाइल एक्सपोर्ट का लगभग 60% हिस्सा) कमोवेश बंद हैं। कोरोना वायरस की आंच अब ग्लोबल अपैरल ब्रांडों को सताने लगी है।
पिछले महीने, ट्रू रिलिजन अपेरल इंक ने तीन साल से भी कम समय में दूसरी बार दिवालिया की अर्जी दायर की, जो इस बात का सबूत है कि कोरोना वायरस का असर इस सेक्ट पर किस कदर से पड़ा है।
अमेरिका में जे क्रू ग्रुप ने 4 मई को दिवालिया की अर्जा दायर की है, कोरोनावायरस महामारी के दौर में ऐसा करने वाला पहला रिटेलर बन गया। इस कड़ी में मॉल स्टेपल प्रीपी भी जुड़ गया है।
बाजार में इस बात की आशंका बड़ गई है कि आगे दूसरे ब्रांड भी इस कड़ी का हिस्सा हो सकते हैं। क्योंकि नीमन मार्कस और जे.सी. पेनी जैसे ब्रांड नकदी की किल्लत से जूझ रहे हैं।
हालांकि अमेरिका में कुछ राज्यों को फिर से खोलने के लिए आदेश आ गए हैं, लेकिन बाजारों लोग वापस जाने में संकोच कर रहे हैं।
लिक्विडेशन फर्म गॉर्डन ब्रदर्स के अनुसार इस साल 25,000 स्टोर स्थायी रूप से बंद हो सकते हैं, क्योंकि बंद के हालात में कारोबार ठप है, आगे मांग को लेकर भी आशंकाएं हैं वहीं रियल एस्टेट सर्विसेज फर्म ग्रीन स्ट्रीट एडवाइजर्स के अनुसार, यूएस के मॉल-आधारित डिपार्टमेंट स्टोर्स का लगभग आधा हिस्सा 2021 के अंत तक बंद हो सकता है।
अमेरिका में पिछले महीने रिकॉर्ड 8.7% की गिरावट आ चुकी है। क्योंकि उपभोक्ताओं ने कपड़े, जूते और घर के सामान पर कटौती की। कनोवेश सभी अर्थव्यवस्थाओं में स्थिति समान है और किसी के पास कोई सुराग नहीं है कि अर्थव्यवस्था कब पटरी पर आएगी।
इस बीच विशेषज्ञ वैश्विक कपास उत्पादन को ऊंचा बने हुए देखते हैं, जबकि मांग कमजोर है और ऐसे में अगले साल तक ओवर सप्लाई की स्थिति और बढ़ जाएगी।
ब्रिटिश व्यापारी प्लेक्सस कॉटन ने एक नोट में लिखा है, "हमें आने वाले सीज़न में 60-80 लाख गांठों का अतिरिक्त वैश्विक उत्पादन देखकर आश्चर्य नहीं होगा, जो ओवर सप्लाइ वाले बाजार में और भी अधिक दबाव बढ़ाएगा।" इस बीच अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के ताजा खतरे और वैश्विक मांग को धीमा करने के साथ, कपास की मांग और कीमतों के कुछ ही हफ्तों से कम रहने की संभावना है।
ऐसे में ग्लोबल मार्केट में कॉटन का दाम को फिर से 48 सेंट तक गिरने की आशंका जताई जा रही है।