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कॉटन किसानों के लिए दीपावली फीकी

25 Oct 2019 2:17 pm
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मुंबई (कमोडिटीज कंट्रोल) कॉटन के किसानों और कारोबारियों के लिए इस साल की दीपावली बेहद फीकी साबित होने जा रही है। बंपर पैदावार, तैयार फसल पर खराब मौसम की मार और ऊपर से पिछले साल के मुकाबले कम भाव से खास करके कपास के किसानों पर चौतरफा मार पड़ी है।

धनतेरस के मौके पर आज वायदा में कॉटन का भाव 19,200 रुपए के नीचे है। जो पिछले एक साल के मुकाबले करीब 16% कम है। पिछले साल 25 अक्टूबर को MCX कॉटन वायदा में 23,080-22,950 रुपए/गांठ पर कारोबार हुआ था। हालांकि साल 2018 में धनतेरस 5 नवंबर को था और तब कॉटन नवंबर वायदा में 22,560-22,740 रुपए के दायरे में कारोबार हुआ था, जो मौजूदा भाव से करीब 15% ऊपर है।

हाजिर में भी कॉटन का भाव पिछले साल से करीब 15% नीचे चल रहा है। पिछले साल धनतेरस-दीवाली के मौके पर गुजरात की मंडियों में कॉटन का भाव करीब 47,000 रुपए/कंडी (1कंडी में 356 किलो) था। जो इस साल 40,000 रुपए/कंडी के भी नीचे आ गया है। वहीं कपास की बात करें तो पिछले साल धनतेरस के मौके पर इसका भाव 6000 रुपए/क्विंटल के ऊपर था। जबकि इस बार ये 5000 रुपए/क्विंटल के आसपास या इससे भी नीचे है।

कारोबारियों के मुताबिक बंपर पैदावार और एक्सपोर्ट नहीं हो पाने की वजह से कीमतों पर दबाव है। अमेरिकी कृषि विभाग यानि USDA के मुताबिक भारत में इस साल 390 लाख गांठ (एक गांठ=170KG) कॉटन के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है। जो पिछले साल से करीब 15% ज्यादा है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक पिछले साल यहां 312 लाख गांठ उत्पादन हुआ था। हालांकि एसोसिएशन ने अभी तक इस साल के पैदावार पर अपना अनुमान नहीं दिया है। लेकिन केंद्र सरकार के मुताबिक इस साल देश में 322.7 लाख गांठ कॉटन उत्पादन का अनुमान है।

दरअसल देश में इस साल 129 लाख हेक्टेयर में रिकॉर्ड कॉटन की खेती हुई है। ऊपर यील्ड काफी अच्छी है। कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक 16 अक्टूबर तक मंडियों में 789,153 गांठ की आवक भी हो चुकी है।

गुजरात के एक कॉटन कारोबारी का मानना है कि बारिश की वजह से महाराष्ट्र और गुजरात में इस साल आवक देर से शुरू हुई है। दिवाली बाद इन राज्यों में आवक और बढ़ेगी, ऐसे में कीमतों पर और दबाव बन सकता है। मिलों का मानना है कि एक्सपोर्ट के अभाव में कीमतों को सपोर्ट नहीं मिल पा रहा, वहीं कपड़ा और यार्न मिलें भी सिमित मात्रा में ही कॉटन खरीद रही हैं।

कॉटन टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल ((TEXPROCIL) के मुताबिक FY20 के पहले 6 महीनों में यार्न का एक्सपोर्ट करीब 39% गिर गया है। चीन, बांग्लादेश, वियतनाम, दक्षिण कोरिया, कोलंबिया और टर्की की मांग में भारी कमी आई है। एक्सपोर्टर्स का मानना है कि सिर्फ कॉटन यार्न ही है जिसे मर्केंडाइज एक्सपोर्ट इंसेंटिव स्कीम यानि MEIS का फायदा नहीं दिया जा रहा है। वहीं चीन और बांग्लादेश में भारतीय यार्न पर 3.5-5% की ड्यूटी है। ऐसे में ग्लोबल मार्केट में भारतीय यार्न को बड़ी चुनौती मिल रही है।

कारोबारी मान रहे हैं कि ग्लोबल मार्केट में घरेलू बाजार से दाम नीचे रहने की वजह से भी एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है। फिलहाल भारतीय कॉटन का दाम ग्लोबल मार्केट में 69.58-72 सेंट प्रति पाउंड बैठ रहा है। जबकि ग्लोबल मार्केट में कॉटन का दाम 64.65 सेंट प्रति पाउंड है। कारोबारियों का कहना है कि ऊंची MSP की वजह से घरेलू बाजार में भाव ऊपर है।

हालाकि उत्तर भारत में अभी सिर्फ पंजाब और राजस्थान के छिटपुट केंद्रों पर कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया MSP पर खरीद कर रही है। माना जा रहा है कि दिवाली के बाद कॉटन की सरकारी खरीद बढ़ सकती है। CCI का इस साल 1 करोड़ गांठ खरीद का लक्ष्य है।

ग्लोबाल मार्केट की बात करें तो भारत में रिकॉर्ड प्रोडक्शन के अलावा अमेरिका और ब्राजील में भी इस साल बंपर पैदावार का अनुमान है। USDA के मुताबिक इस साल दुनिया में 12.48 करोड़ अमेरिकी गांठ (1 गांठ में 217.7 किलो) कॉटन की पैदावार रह सकती है। जो पिछले साल से 58 लाख अमेरिकी गांठ या 5% ज्यादा है। वहीं दुनिया के सबसे बड़ा खरीदार चीन अभी अमेरिका से सिर्फ सोयाबीन की खरीद कर रहा है, कॉटन के बारे में उसकी तरफ से कोई संकेत नहीं है। ऐसे में आगे कीमतों में और दबाव देखने को मिल सकता है।


       
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