मुंबई (कमोडिटीज कंट्रोल) कॉटन का सीजन सामने है। लेकिन इस साल एक्सपोर्ट के फ्रंट पर बाजार बिल्कुल शांत है। आधा सितंबर खत्म हो गया, उत्तर भारत की मंडियों नई फसल की आवक भी शुरू हो गई। लेकिन नए सीजन में एक्सपोर्ट का एक भी फॉरवर्ड सौदा नहीं हो सका है।
गौर करने वाली बात ये है कि पिछले साल मध्य सितंबर तक करीब 15-16 लाख गांठ के फॉरवर्ड एक्सपोर्ट सौदेहो चुके थे। साथ ही साल 2017 में भी इस अवधि में करीब 7 लाख गांठ के फॉरवर्ड एक्सपोर्ट सौदे हुए थे।
हमें बाजार के सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस साल 14 सितंबर तक कॉटन एक्सपोर्ट का एक भी फॉरवर्ड सौदा नहीं हो सका है।
कमोडिटीज कंट्रोल से खास बातचीत में कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व प्रेसिडेंट धीरेन एन शेठ ने बताया कि, "अबतक फॉरवर्ड एक्सपोर्ट का 'जीरो' (0) सौदा हुआ है"। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया दिया कि, "दरअसल घरेलू बाजार में कॉटन का दाम ग्लोबल मार्केट से करीब 10-15 सेंट ऊपर चल रहा है, ऐसे में बाहर से कोई खरीदार नहीं आ रहा"।
इस माहौल में कॉटन ब्रोकरों की हालत और भी पतली है। गुजरात के अहमदाबाद में कॉटन के ब्रोकर धर्मेंद्र जैन का कहना है कि, "सीजन से पहले ऐसा ठंडा माहौल कभी नहीं था, पिछले साल ही सरकार की तरफ से कपास की MSP में भारी बढ़त कर देने से भारत का कॉटन ग्लोबल मार्केट से बाहर हो चुका है"।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक साल 2018-19 में यहाँ से करीब 44 लाख गांठ कॉटन एक्सपोर्ट की उम्मीद है। जो एक साल पहले के मुकाबले करीब 37% कम है।
कारोबारियों का कहना है कि ऐसे हालात में अक्टूबर से शुरू होने वाले नए सीजन में इससे भी कम एक्सपोर्ट का अनुमान है।
अहमदाबाद में कॉटन के बड़े कारोबारी और एक्सपोर्टर मनोज गाला भी विदेशी मांग नहीं होने की बात कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने कहा की इस वक़्त घरेलू मांग अच्छी है, इसी वजह से कीमतों को सपोर्ट है। उन्होंने बताया कि, "इंपोर्ट में कुछ देरी से बाजार में घरेलू खरीदार एक्टिव हैं।
कारोबारियों का मानना है कि इस बार देश में कॉटन की पैदावार 4 करोड़ गांठ के पार जा सकती है। पिछले साल के मुकाबले इस साल कॉटन की खेती करीब 5% ज्यादा हुई है और देश में सभी हिस्सों में फसल काफी अच्छी स्थिति में है।