मुंबई (कमोडिटीजकंट्रोल) - कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार बारिश की कमी, रकबे में गिरावट और पिंक बॉलवर्म के कारण उत्पादन में इस साल 3-4 फीसदी घटकर 350 लाख गांठ होने की संभावना है।
सीएआई के प्रेजिडेंट अतुल गणात्रा ने कहा की "प्रमुख कॉटन उत्पादक राज्यों में फसल को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा जैसे की कमजोर बारिश, किसानों को कॉटन की बजाय दूसरे फसलों के प्रति रुझान के कारण रकबे में गिरावट और पिंक बॉलवॉर्म के संक्रमण के कारण इस वर्ष कॉटन उत्पादन को 3-4 फीसदी घटकर 350 लाख गाँठ रह सकता है।"
गणात्रा के अनुसार हालांकि, अगले कुछ महीनों (सितंबर-अक्टूबर) कॉटन की फसल के लिए महत्वपूर्ण हैं, और उत्पादन की वास्तविक तस्वीर तब ही साफ़ हो पायेगी।
जुलाई के अनुमान में, सीएआई ने चालु सीजन 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 365 लाख गांठ कॉटन उत्पादन का अनुमान लगाया था।
उन्होंने कहा कि गुजरात में कमजोर वर्षा ने राज्य में बुवाई प्रभावित की है।
"गुजरात में, पर्याप्त वर्षा की कमी के कारण फसलों को स्थिति चिंताजनक है। राज्य में पहले ही 7 फीसदी कम वर्षा का सामना कर रहा है, "उन्होंने कहा।
कुल मिलाकर देश में 27 अगस्त तक बोआई 116 लाख हेक्टेयर थी जो पिछले साल इसी अवधि में 124.50 लाख हेक्टेयर थी।
गणात्रा ने कहा कि इस साल कुल मिलाकर बोआई 120 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक में, किसान सोयाबीन जैसी अन्य फसलों में कॉटन से स्थानांतरित हो गए हैं, जिन्हें वे वर्तमान परिदृश्य में अधिक आकर्षक पाते हैं।
"आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक में सोयाबीन जैसी आकर्षक फसलों की तरफ किसान का रुख अधिक रहा है। किसानों को सोयाबीन अधिक आकर्षक लगता है और 2018-19 में एमएसपी 3,050 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 3,399 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया।
इसके अलावा, गणात्रा ने कहा कि महाराष्ट्र में, 21 लाख कॉटन उत्पादक गावों में से 7 लाख गांवों में कॉटन की फसल पिंक बॉलवार्म से पीड़ित पाया गया है।