नई दिल्ली (कमोडिटीजकंट्रोल) - महाराष्ट्र में पिंक बॉलवर्म संक्रमण को लेकर एक बार फिर काफी हलचल देखी जा रही है, जिसके कारण किसान कुछ चिंतित है, हालांकि इस बार स्तिथि पिछले साल की तरह गंभीर नहीं है जैसा की विभिन्न रिपोर्टों में बताया जा रहा है।
जब कमोडिटीजकंट्रोल (Commoditiescontrol.com) की हमारी टीम ने किसानों से बात की तो उन्होंने कहा कि पिंक बॉलवार्म देखा गया है लेकिन यह इतना गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि वे इस साल पहले से ही तैयार थे क्योंकि जिन क्षेत्रों (केंद्रीय और पूर्वी महाराष्ट्र) में मुख्य रूप से कपास का उत्पादन होता है पिछले साल पिंक बोल्वार्म कीड़े ने फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया था।
किसानों ने कहा कि हमले के शुरुआती संकेत को देखने के बाद उन्होंने तुरंत कीटनाशकों और फेरोमोन ट्रैप्स का इस्तेमाल किया, जिसके परिणामस्वरूप फसल को न्यूनतम नुकसान हुआ।
उन्होंने कहा कि पिछले साल नुकसान बड़े स्तर पर हुआ था क्योंकि हमले अचानक हुए थे और ऐसी स्थिति पिछले 7-8 सालों में नहीं देखा गया था। साथ साथ पिछले साल किसान फसल की ऊंचाई के कारण कीटनाशकों का सही तरह से उपयोग करने में असफल रहे थे।
इस बीच किसानों के लिए जारी एक सलाह में राज्य कृषि विभाग ने किसानों को बोआई के 45 दिनों के भीतर फेरमोन ट्रैप्स का उपयोग करने की सलाह दी है। यदि जाल प्रति दिन कम से कम 8-10 नर पिंक बोल्वार्म पकड़ता है, तो कीटनाशक के उपयोग की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है।
फेरोमोन ट्रैप्स कृषि उद्योग विकास निगम के अधिकृत विक्रेताओं पर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।सलाह के अनुसार एक एकड़ खेत में कम से कम दो ट्रैप रखना रखना आवश्यक है। कमिश्नर ने कृषि विद्यालयों को खेतों और मीलों में लगाए गए ट्रैप के आधार पर कीट का सर्वे करने के लिए कहा है।
विदर्भ के अकोला, वाशिम, नांदेड़ और परभणी जिलों में पिंक बॉलवर्म की लक्षण मिलें हैं।
पिंक बॉलवर्म एक प्रकार का कीट है जो की कपास के साथ साथ सीड को भी नुकसान पहुंचाता है।
राज्य में अप्रैल से जुलाई के दौरान मुख्यतौर पर कॉटन की बोआई की जाती है।
राज्य की कृषि अधिकारी के अनुसार कॉटन की फसल पर पिंक बॉलवर्म का संक्रमण एक बार फिर देखा जा रहा है| यह संक्रमण बडिंग स्टेज पर आता है जिसके कारण फूल खिल नहीं पाता। कॉटन के बोल में लार्वा अंदर के भाग के अलावा तैयार हो रहे है सीड को खाता है।
(कमोडिटीजकंट्रोल ब्यूरो द्वारा; +91-22-40015533)