मुंबई (कमोडिटीजकंट्रोल) - पिंक बॉलवर्म के कारण देश में कॉटन उत्पादन में कटौती के बाद अब कमजोर आवक को देखते हुए कॉटन उद्योग की बीच उत्पादन को लेकर एक बार फिर संशय की स्थिति बनती दिख रही है। इस वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान कॉटन का उत्पादन को लेकर उद्योग से लेकर कारोबारी और सरकार के अनुमान में काफी बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। व्यापार से जुड़े एसोसिएशन अभी भी कॉटन उत्पादन 360-380 लाख गाँठ (प्रत्येक गाँठ 170 किलोग्राम) रहने का अनुमान लगा रहे है, किन्तु यदि दैनिक आवक का विश्लेषण किया जाए तो इतना (360-380 लाख गाँठ ) उत्पादन असंभव जैसा लग रहा है।
इस सीजन की बात अगर की जाए तो औसत दैनिक कॉटन की आवक 1.8 लाख गाँठ के ऊपर अभी तक नहीं पहुँच पाई है और वर्तमान फरवरी माह के प्रथम 15 दिनों में तो यह घटकर 1 लाख से कम ही दर्ज की गई है। कई जिनिंग मिलें जो की तीन शिफ्ट में काम करती थी, अब तो एक से दो शिफ्ट में काम कर रही है जोकि साफ़ दर्शाता है की आवक हाल के महीनों में कमजोर है।
कमजोर आवक
इस सीजन की शुरुआत से जनवरी अंत तक आवक कमजोर ही रही थी और फरवरी के प्रथम सप्ताह के दौरान आवक को देखा जाये तो इसमें कोई ख़ास सुधार होता नहीं दिखा। इसे देखते हुए लग रहा है की क्या वाकई इस सीजन में कॉटन का उत्पादन 350 लाख गाँठ हो पायेगा या फिर इसमें कटौती करने की जरुरत है?
31 जनवरी तक बैलेंस शीट के अनुसार घरेलु स्पिनिंग मिल्स के पास औसत 50 लाख गाँठ अनसोल्ड स्टॉक है, जोकि की ठीकठाक स्थिति में है और यह अगले दो माह की जरुरत की पूर्ति के लिए पर्याप्त है, जबकि बची हुई कॉटन जिनर्स और मल्टी नेशनल कंपनियों के पास है।
आवक में कमजोरी को देखते हुए इसके 350 लाख गाँठ से अधिक रहने की संभावना नहीं दिखती। हालांकि भाव को लेकर भी संशय बन रहा है की यदि आवक सुस्त है और उत्पादन भी कम है तो कॉटन के भाव हाजिर में क्यों घट रही हैं?
हाजिर भाव में गिरावट का मुख्य कारण स्पिनिंग मीलों द्वारा नीरस मांग लग रही है क्यूंकि किसान अभी अपने पास रखी हल्की क्वालिटी की कपास की बिक्री कर रहे हैं, जबकि अच्छे भाव की चाह में प्रीमियम क्वालिटी कॉटन को स्टॉक अपने पास रख रहे है। देश में कपास का भाव फिलहाल 4,300-5,200 प्रति क्विंटल के दायरे में है।
विशेषज्ञों की माने तो किसानों के पास पड़ी हल्की क्वालिटी की कॉटन अगले कुछ दिनों में ख़त्म हो जाएगी और इसके बाद बची प्रीमियम क्वालिटी कॉटन की ही आवक रहेगी। इसके साथ-साथ फरवरी से अप्रैल के दौरान औसत दैनिक आवक 1 लाख गाँठ रह सकती है।
देश में कॉटन उत्पादन कितना?
हमने तीन परिदृश्य (scenario) बनाये और हमारे विश्लेषण के अनुसार मई अंत तक देश में कुल उत्पादन का 94% कॉटन की आवक होनी चाहिए। यह परिदृश्य इसलिए बनाया गया है ताकि अलग अलग उत्पादन अनुमान का आंकलन कर एक सही नतीजे पर पहुंचा जा सके।
पिछले साथ साथ का औसतन कॉटन आवक का विश्लेषण करें तो कुल उत्पादन का 94% कॉटन की आवक मई अंत तक हो जानी चाहिए और ऐसे से 1 & 2 परिदृश्य सही लग रहे हैं क्यूंकि देश में पिछले 15 दिनों में औसत आवक 1.1 लाख गाँठ रही है।
(कमोडिटीजकंट्रोल ब्यूरो द्वारा; +91-22-40015533)