मुंबई (कमोडिटीज कंट्रोल) - सरकार द्वारा प्रत्यक्ष खरीदी की वजह से व्यावसाय में गिरावट होने के कारण कर्णाटक में दलहन के प्रमुख क्षेत्र गुलबर्गा और बीदर के व्यापारियों और मिलरों ने सरकार से आग्रह किया है की वह किसानों से अरहर (तुवर) की खरीद के लिए प्राइस डेफीसेंसी पेमेंट स्कीम (पीडीपीएस) या भावांतर योजना लागू करें।
गुलबर्गा दालों का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है - मुख्य रूप से तुवर का और इसकी खरीद जल्द ही शुरू होने वाली है।
सोमवार को गुलबर्गा और बीदर जिले में सैकड़ों व्यापारियों और मिलरों ने इस सीजन में पीडीपीएस स्कीम के तहत तुवर की खरीद शुरू करने की मांग को लेकर धरना दिया।
व्यापारियों ने दावा किया कि इस तरह के कदम से कम लागत और कम भुगतान के मामले में सरकार को लाभ होगा, जबकि व्यापारी तथा मिलर्स को अपना व्यवसाय करने में आसानी होगी। मिलर्स ने कहा कि सरकार पीडीपीएस के माध्यम से खरीद में अतिरिक्त हैंडलिंग, भंडारण और प्रबंधन लागत से बच सकती है।
भावांतर या पीडीपीएस योजना के तहत सरकार द्वारा किसानों को केवल बाजार मूल्य और न्यूनतम समर्थन मूल्य के बीच का अंतर देना पड़ता है। प्रतिकूल मौसम परिस्थिति के कारण इस साल दलहन की फसल ख़राब हुई थी, केंद्र सरकार द्वारा घोषित 5,675 / 100Kg के न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित होने के बावजूद वर्तमान में तुअर की कीमतें लगभग 4,900-5,000 रुपये के स्तर पर व्यापार कर रही हैं जो की एमएसपी मूल्य से से काफी निचे का स्तर है। कर्नाटक सरकार 425 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दे रही है, जिससे कुल भुगतान 6100 रुपये हो रहा है। इसमे प्रति किसान 10 क्विंटल का मात्रात्मक प्रतिबंध लगा हुआ है।
(कमोडिटीजकंट्रोल ब्यूरो द्वारा; + 91-22-40015513)