मुंबई (कमोडिटिजकण्ट्रोल) - विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार चेन्नई पोर्ट पर बर्मा से आयातित उड़द शिपमेंट को कस्टम द्वारा छोड़ा जा रहा है। खबर लिखे जाने तक 450 कंटेनर (प्रत्येक 24 टन) जिसमे लगभग 300 कंटेनर उड़द और 150 कंटेनर तुअर शामिल है को कस्टम से क्लीयरेंस मिल चूका है।
ज्ञात हो की डीजीएफटी ने 21 अगस्त 2017 को नोटिफिकेशन जारी कर उड़द और मूंग के आयात प्रत्येक पर 1.5 लाख टन का मात्रात्मक प्रतिबन्ध लगा दिया था जोकि वित्त वर्ष 2017-18 (अप्रैल-मार्च) के लिए लागू था, जिसे बाद में बढ़ाकर 2018-19 के लिए कर दिया था।
सूत्रों के अनुसार 2018-19 के वित्त वर्ष के दौरान उड़द की जो मात्रा तय थी उतनी उड़द पहले ही आ चुकी है।
चेन्नई के एक कारोबारी ने बताया की एक स्थानीय आयातक ने मद्रास कोर्ट में मटर आयात पर प्रतिबन्ध को लेकर एक याचिका दायर की थी जिसमे उसने कोर्ट से कहा था की डीजीएफटी कानूनी रूप से आयात पर प्रतिबन्ध नहीं लगा सकती और नोटिफिकेशन में सरकार द्वारा आदेश देने की बात नहीं है तो ऐसे में मटर का आयात संभव है।
मद्रास कोर्ट ने केस में याचिकाकर्ता को राहत देते हुए डीजीएफटी के आदेश पर स्टे दे दिया था। जिसके बाद डीजीएफटी ने वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की स्वीकृति प्राप्त कर मटर के आयात पर रोक लगाने को लेकर फिर नोटिफिकेशन जारी किया था।
अब इसी को आधार बनाकर चेन्नई के आयातक उड़द और तुअर का भी आयात कर कस्टम से क्लियर करवा रहे हैं। यानीकि जब तक डीजीएफटी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की स्वीकृति लेकर उड़द, मूंग और तुअर के आयात को लेकर नया नोटिफिकेशन नहीं जारी करती तब तक आयात बिना रोकटोक के जारी रह सकती है।
इस खबर से चेन्नई के आयातक अब बर्मा से उड़द खरीदी करने के लिए सक्रिय हो गए और प्राप्त सुचना के अनुसार अभी तक उन्होंने कुछ 2500-3000 कंटेनर (60,000-72,000 टन ) उड़द और तुअर के सौदे कर भी लिए है।
जानकारों की माने यदि यह उड़द देश में पहुंचता है तो सरकार द्वारा दालों के भाव को ऊपर उठाने के सारे प्रयासों पर पानी फिर जायेगा। उड़द के भाव में इसके चलते गिरावट तो देखने को मिलेगी ही अन्य दालों में भी कमजोरी बनने की पूरी संभावना है।
(कमोडिटिजकण्ट्रोल ब्यूरो; +91-22-40015533)