मुंबई (कमोडिटीजकंट्रोल) - म्यांमार की अपनी यात्रा के दौरान, भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दालों और बीन्स के कारोबार के लिए दोनों देशो को दीर्घकालिक कार्य करने की जरुरत है। हालांकि, भारतीय प्रधानमंत्री के म्यांमार दौरे पर दालों और बीन्स पर आयात प्रतिबंध उठाने के लिए कोई समझौता नहीं किया गया।
दोनों देशों द्वारा जारी किए गए संयुक्त बयान, राज्य काउंसेलर Daw Aung Sang Suu Kyi ने भारत द्वारा जारी की गई हालिया अधिसूचना में विभिन्न श्रेणियों के दालों पर मात्रात्मक प्रतिबंध लागू करने को लेकर चिंता जाहिर की और दोनों देशों की दोस्ती और दीर्घकालिक हितों के सम्बन्ध को देखते हुए भारत के प्रधान मंत्री से म्यांमार से आयात पर सभी प्रतिबंध उठाने के लिए आग्रह किया।
बयान में, श्री मोदी ने जवाब दिया कि हमारे लिए दीर्घकालीन व्यवस्था को लागू करना महत्वपूर्ण है जिससे भविष्य में दोनों देशों के लोगों के हितों की रक्षा की जा सके।
दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार में दालों के महत्व को भी स्वीकार किया और इस व्यापार के प्रभाव में म्यांमार के किसान और भारतीय उपभोक्ता है।
पिछले महीने भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत विदेश व्यापार विभाग ने 2017-18 के वित्तीय वर्ष में दालों का आयात मात्रा को सीमित करने के लिए एक बयान जारी किया था जिसमें उड़द और मूग बीन्स प्रत्येक के लिए सालाना (वित्त वर्ष) आयात की 300,000 टन प्रति टन की सिमा निर्धारित की थी। साथ साथ तुअर के आयात को भी 200,000 टन तक सीमित कर दिया। भारतीय हितों और भारतीय किसानों की रक्षा के लिए यह आदेश जारी किया गया था।
म्यांमार डासेल्स, बीन्स और तिल सीडर्स एंटरप्राइंसर्स एसोसिएशन के सचिव यू मिन को ओ ने कहा, "यह एक अच्छा संकेत है कि दोनों नेताओं ने अन्य महत्वपूर्ण मामलों के अलावा दालों के बारे में चर्चा की।"