मुंबई (कमोडिटीज कंट्रोल) विश्वव्यापी जानलेवा कोरोना वायरस की वजह से अब दुनिया के कई देशों में खाने-पीने की महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में इंपोर्टर देश जहां अपने खाद्यान भंडार को सुनिश्चित करने में जुट गए हैं। वहीं कई एक्सपोर्टर देश अपने अनाज एक्सपोर्ट को प्रतिबंधित कर रहे हैं। हालांकि अच्छी पैदावार और भरपूर अन्न भंडार से भारत में अभी स्थिति नियंत्रण में है।
दरअसल लॉकडाउन के बीच कई देशों में ग्राहकों की जमाखोरी से खाद्यान संकट की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में अल्जीरिया, मोरक्को और फिलीपींस जैसे देश अपने अन्न भंडार को सुनिश्चित करने में जुटे हैं। दुनिया के प्रमुख गेहूं उत्पादक देश रूस और प्रमुख चावल एक्सपोर्टर वियतनाम के एक्सपोर्ट प्रतिबंधित होने से इन देशों की दिक्कतें और बढ़ गई हैं। फ्रांस जैसे कुछ देशों में ट्रकों, ट्रेन ड्राईवरों और बंदरगाहों पर कर्मचारियों की किलकत से भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
आपको बता दें इजिप्ट (मिस्र) जो कि दुनिया का सबसे बड़ा अनाज का खरीदार देश है, यहां की सरकार अन्न के रणनीतिक भंडार को बढ़ाने का आदेश जारी कर चुकी है। वहीं फिलीपींस जो कि मुख्य रूप से वियतनाम से चावल इम्पोर्ट पर निर्भर रहता है, वहां भी सरकार अनाज का भंडार बढ़ाने में जुटी है।
कोरोना वायरस से जूझ रहे सऊदी अरब को पिछले हफ्ते जौ खरीदने का अतिरिक्त ऑर्डर जारी करना पड़ा। एग्री सेंसेस के मुताबिक ऐसे माहौल में अल्जीरिया को 15 दिन पहले के मुकाबले गेहूं खरीदने पर 8% ज्यादा कीमत चुकानी पड़ी है। इस दौरान ग्लोबल मार्केट में टर्की के लिए गेहूं का भाव 10% महंगा हो गया।
यद्यपि इस दौरान दूसरी कई कमोडिटी की कीमतों में गिरावट रही। लेकिन लोगों और साथ ही साथ कुछ देशों की जमाखोरी की वजह से अनाज की कीमतों को सपोर्ट मिला है। पिछले 2-3 हफ्तों में शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर गेहूं का दाम 10% बढ़कर $5.50/बुशल तक चला गया है। वहीं बेंचमार्क वियतनामी चावल का दाम इस साल के शरुआत से करीब 15% बढ़कर $410/टन में पार चला गया है।
हालांकि जानकर मान रहे हैं कि ये हालात थोड़े समय के लिए ही रहेगा। क्योंकि दुनिया में चावल का रिकॉर्ड भंडार है। जबकि गेहूं का भंडार 27.8 करोड़ टन का है, जो पिछले 5 सल के औसत भंडार से 3% ज्यादा है।
लेकिन कुछ देशों की दिक्कतें थोड़ी अलग किस्म की हैं। मसलन रूस, जहां की इकोनॉमी कच्चे तेल में गिरावट से मंदी के कगार पर है। वहां की करेंसी रूबल, डॉलर के मुकाबले इस साल 16% गिर चुका है। ऐसे में रूस के किसान घरेलू बाजार की जगह ग्लोबल मार्केट में ही गेहूं बेचने को तवज्जो दे रहे हैं। ऐसे हालात में घरेलू जरूरतों के मद्देनजर यहां की सरकार को पिछले हफ्ते अप्रैल-जून के लिए गेहूं एक्सपोर्ट पर 70 लाख टन की सीमा लगानी पड़ी। दरअसल रूबल के कमजोर होने से विदेशी खरीदारों के लिए रशियन गेहूं सस्ता बैठ रहा है।
वहीं लॉकडाउन की वजह से भारत से चावल का एक्सपोर्ट रुक सा गया है। साथ ही वियतनाम से भी एक्सपोर्ट प्रतिबंधित होने और फिलीपींस की मांग बढ़ने से ग्लोबल मार्केट में थाईलैंड के चावल का दाम 7 साल के ऊपरी स्तर पर चला गया है। लेकिन मांग गिरने से भारत में इसकी कीमतों में तेज गिरावट आई है और ये 3-4 महीने के निचले स्तर पर लुढ़क गया है।
जानकार मान रहे हैं कि फिलहाल भारत में खाद्यान की कोई दिक्कत नहीं है। यहां पर महज मंडियों के बंद रहने से प्रोसेसर्स को कच्चा माल लेने में दिक्कत हो रही है। जो अस्थाई है। देश में गेहूं और चावल का भारी भंडार है। वहीं इस साल 10 करोड़ टन से ज्यादा गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन का भी अनुमान है, जो अभी पूरी तरह से किसानों के हाथ में है।
हालांकि दुनिया के बाकी देशों के हालात को देखकर UN-FAO ने सप्लायर देशों को एक्सपोर्ट प्रतिबंधित करने से बचने की सलाह दी है।