मुंबई (कमोडिटीज कंट्रोल) केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से लॉकडाउन में मंडियों और अनाज-दाल समेत खाने-पीने से जुड़े सामानों और आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही की छूट दिए जाने के बावजूद देश की ज्यादातर मंडियां खुल नहीं सकी हैं। ऐसे में एक ओर जहां दाल मिलों को कच्चा माल मिलने में दिक्कत हो रही है। वहींं दूसरी ओर किसान तैयार रबी की फसल को स्थानीय साहूकारों के हाथों औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं।
एक अप्रैल से गेहूं, सरसों और चने की सरकारी खरीद शुरू हो जानी चाहिए। लेकिन अभी तक किसी भी राज्य में ये काम शुरू नहीं हो सका है। हालांकि हरियाणा सरकार ने 20 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू होने की उम्मीद जताई है और कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए अलग स्कीम की भी पेशकश की गई है। वहीं पंजाब और उत्तर प्रदेश में 15 अप्रैल से सरकारी खरीद शुरू होने की उम्मीद है। मध्य प्रदेश में भी पहले एक अप्रैल से खरीद शुरू होने वाली थी। लेकिन अब सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकर 14 अप्रैल को हालात की समीक्षा के बाद ही फैसला लेगी।
कारोबारियों का कहना है कि जब खुद सरकार गेहूं की खरीद शुरू नहीं कर पा रही है, ऐसे में हम लोग मंडी में काम कैसे कर सकेंगे। कोरोना वायरस को लेकर लोग डरे हुए हैं, लिहाजा कोई जोखिम नहीं उठाना चाहता।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते राजस्थान सरकार ने राज्य की 247 मंडियों को खोलने का निर्देश दिया था। लेकिन कारोबारियों ने असमर्थता जताते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया। वहीं गुजरात में भी राज्य सरकार के निर्देश के बावजूद ये संभव नहीं हो सका है।
कारोबारियों का कहना है कि मजदूरों और ट्रांसपोर्टेशन की भारी किल्लत है। वाहन नहीं चलने से मजदूर मंडी कैसे पहुंचेंगे। लेकिन छूट के बावजूद ट्रांसपोर्टेशन में क्या दिक्कत है।
इस सवाल के साथ जब Commoditiescontrol.com ने पड़ताल किया तो पता चला कि, केंद्र सरकार से छूट मिलने के बाद राज्य सरकारें दरअसल जिला प्रशासन को हालात को देखकर ही छूट प्रदान करने की इजाजत दी है। इसी वजह कई इलाकों में स्थानीय प्रशासन जोखिम नहीं उठाना चाहता।
ऑल इंडिया दाल मिल्स एसोसिएशन के प्रेजिडेंट सुरेश अग्रवाल का कहना है कि मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में जहां कोरोना के मामले नहीं मिले हैं वहां आवाजाही में खास दिक्कत नहीं है। लेकिन बाकी जिलों में आवाजाही में दिक्कत है और इसी वजह से मिलों का कामकाज प्रभावित हो रहा है। उन्होंने बताया कि एसोसिएशन ने नैफेड से सीधे दलहन दिए जाने के लिए सरकार को लेटर भी लिखा है। लेकिन इसका कोई फायदा अभी तक नहीं दिख सका है।
इस बीच मंडियां बंद रहने और सरकारी खरीद नहीं होने से किसान स्थानीय साहूकारों को ₹1600-1800/क्विंटल के भाव पर गेहूं बेचने को मजबूर हैं।
इस बीच देश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 3374 तक पहुंच गई है। जिसमें मौतों का आंकड़ा 77 के स्तर पर चला गया है। दिल्ली में ये संख्या 445, महाराष्ट्र में 661 और गुजरात में 122 तक पहुंच चुकी है।