मुंबई (कमोडिटीज कंट्रोल) ग्लोबल मार्केट में भाव बढ़ने और खरीदारों को बाजार से दूरी बनाए रखने से नवंबर में भारत का पाम तेल इंपोर्ट पांच महीने के निचले स्तर पर गिर सकता है।
ब्लूमबर्ग की सर्वे के मुताबिक नवंबर में यहां पाम तेल का इंपोर्ट 11% गिरकर 696,000 टन रह सकता है। इंपोर्ट में गिरावट का ये लगातार दूसरा महीना होगा। साथ ही जून के बाद का ये सबसे कम इंपोर्ट है। पिछले साल नवंबर में यहां 691,827 टन पाम तेल का इंपोर्ट हुआ था। था। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया अगले सप्ताह अपना डेटा जारी कर सकती है।
दरअसल जुलाई के मध्य से बायो फ्यूल की बढ़ती मांग और शिपमेंट को महंगा होने की चिंताओं के कारण दुनिया का सबसे अधिक खपत वाला खाने के तेल का दाम जुलाई के मध्य से करीब 50% बढ़ गया है। माना जा रहा है कि भारत में इंपोर्ट गिरने से मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम तेल का भंडार बढ़ सकता है। ऐसे में वहां पाम तेल की तेजी पर ब्रेक लगने की उम्मीद है।
फिलहाल ग्लोबल पाम तेल वायदा पिछले करीब 3 साल के ऊपरी स्तर के आसपास कारोबार कर रहा है। गौर करने वाली बाच ये भी है कि पाम तेल की दाम 2011 के बाद पहली बार सोया तेल के बराबर पर या उसके पार गया है। ऐसे में दूसरे तेलों की तुलना में अब से किफायती नहीं रहा। पिछले एक साल के दौरान पाम तेल करीब $112 के औसत डिस्काउंट पर कारोबार किया है।
सर्वे के मुताबिक इस दौरान अमेरिका, ब्राजील और अर्जेंटीना से सोया तेल इंपोर्ट में एक महीने पहले के मुकाबले करीब 58% की कमी आई है और ये 166,000 टन पर आ गया है। जबकि सूरजमुखी तेल का इंपोर्ट 62% उछलकर 258,000 टन हो गया। वहीं वनस्पति तेल का कुल इंपोर्ट करीब 21% घटकर 10.9 लाख टन रहा है।